Village Chakrapada, Orrisa.
Affected by poverty, the villagers are seeking alternative options. They meet brokers Gopal and Karan, who promise them better work in Raipur. Raman, Debashish, Urvashi, Vikas, Sampat, Chirag, Adinath, Makrand, Damini, Radhika, and Poonam agree to go to Raipur with Gopal and Karan. The brokers take them to Kundarmal, where they are handed over to contractor Kailash. Kailash pays each laborer twenty thousand rupees, with Gopal and Karan taking five thousand each as commission. They assure the villagers that they will send their earnings home.
During the journey, while Satya is asleep, they quietly disembark at an unknown station. They decide to split up and take different routes. Debashish, Raman, Urvashi, and her son Vikas board a train back to Raipur. When Debashish and Raman go to check the train schedule upon arrival in Raipur, they are apprehended by Kailash's men.
उड़ीसा के चक्रपाड़ा गॉव के लोग गरीबी से त्रस्त है तभी गॉव में दो दलाल करन और गोपाल आते हैं. वो दोनों गॉव वालों को रायपुर में एक अच्छी नौकरी का लालच देते हैं. रमन, देबाशीष, उर्वशी, विकास, संपत, चिराग, आदिनाथ, मकरंद, दामिनी, राधिका और पूनम ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए गोपाल और करन के साथ रायपुर जाने को तैयार हो जाते हैं. वो दोनों उनको कुंदरमल ले जाते हैं जहाँ उन सबको कैलाश नाम के एक ठेकेदार के हवाले कर दिया. कैलाश गोपाल और करन को हर मजदूर के लये बीस हज़ार देता है. गोपाल और करन अपने अपने हिस्से की कमीशन पांच-पांच हज़ार रूपए रख लेते हैं। और वादा करते हैं की सभी गॉववालो का हिस्सा उनके घरवालों तक पंहुचा दिया जायेगा। इनमे से कुछ लोग रूपए अपने पास रख लेते हैं।
कैलाश अपने साथियों के साथ इन लोगों को एक ईंट भट्ठी पर लेजाता है मगर वहां इन लोगों के लिए कोई काम नहीं होता है। सत्या हैदराबाद में अपने एक दोस्त से बात करता है जिसे मजदूरों की ज़रुरत है। इन सब लोगों को स्टेशन ले जाया जाता है और ट्रैन छूटने के कुछ मिनट पहले ही सत्या बताता है की इन लोगों को हैदराबाद ले जा रहा है। सब लोग चौंक जाते हैं और वहां नहीं जाना चाहते हैं क्यों की हैदराबाद बहुत दूर है। सत्या ज़बरदस्ती सबको ट्रैन में बैठने को बोलता है। ट्रैन के चलने के बाद वो सब लोग ट्रैन से एक किसी बीच के स्टेशन पर उत्तर जाते हैं जबकि सत्या सो रहा होता है। वहां से सबलोग अलग अलग रास्ते से वापस गाओं जाने की योजना बनाते हैं। देबाशीष, रमन, उर्वशी और उसका बेटा विकास ट्रैन के रास्ते से वापस आते हैं। देबाशीष और रमन ट्रैन के पता लगाने के लिए जाते हैं तभी कैलाश के आदमी उन्दोनो को धर-दबोचते हैं।
Orissa, Bhubaneswar, December 17, 2013
Story is based on a incident of Orissa where hands of two migrant labor were chopped off by a labour contractor.
The victims were identified as Jialu Nial (30) and Nilambar Dhangdamajhi (28) who reached a government hospital at Bhawanipatana, the district headquarters of Kalahandi, about 500km from state capital Bhubaneswar.
According to police accused contractor paid Rs. 14,000 in advance to each to 12 laborers including five women from different villages of Kalahandi district. They were brought there to work in a brick kiln in Andhra Pradesh.
Later the contractor forcibly tried to take them to Raipur, Chhatisgarh to engage them in another brick kiln. The laborers resisted and all of them, except Niali and Dhangdamajhi, managed to escape when the group had halted at Sinapali. Sinapali is a neighboring Nuapada district.
That contractor and accomplices held them captive and tortured them at an undisclosed village in Nuapada.
YouTube:
Part 1: www.youtube.com/watch?v=LihxLoA-rOo
Part 2: www.youtube.com/watch?v=HFNPu_WNWUs
SonyLiv:
Part 1: www.sonyliv.com/watch/thriller-ep-379-june-7-2014
Part 2: www.sonyliv.com/watch/thriller-ep-380-june-8-2014
Here is the inside story of the case:
www.crimestories.co.in/2014/06/crime-patrol-odisha-contractor-chops.html
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