Avinash Chaubey, (real name Harendra Ramchandra Yadav), comes from Lucknow, Uttar Pradesh. He possesses cricketing talent and aspires to pursue cricket as a profession. However, his impoverished background poses a challenge. His father discourages him and withdraws support for his dream of becoming a cricketer. Avinash decides to escape to Mumbai by stealing money from his father. In Mumbai, he resides with his maternal uncle, Damodar Panday. While his uncle cares for him, his wife no longer holds affection for Avinash.
After a few days, his uncle and cousin begin to recognize Avinash's potential as a talented cricketer. Avinash receives support from a cricket coach named Sameer Khan, who also believes in his abilities. Sameer coaches Avinash without any fee. Avinash aims to participate in the Inter School Cup, an event exclusively for school students. Fortunately, with the assistance of his opening partner, Junaid, and his coach, Avinash secures admission to the school. However, he faces another financial crisis. The school fees and cricket coaching expenses amount to approximately INR 13,000 per month, a sum neither his father nor his uncle can afford. Avinash's cricketing career is at risk of ending before it even begins.
During this time, Avinash encounters Jagat Tavde, a person who puts up missing persons' posters in trains in different areas. Jagat suggests to Avinash that he has an idea to earn a significant amount of money.
Although Avinash excels in cricket, his coaching fees decrease to INR 750 from INR 3,000. However, he still struggles to pay the school fees. He discusses his situation with his father and uncle, but neither can assist him. As a result, Avinash finds a small job at a restaurant.
लखनऊ, उत्तर प्रदेश का होनहार स्कूल लेवल क्रिकेटर अविनाश चौबे क्रिकेटर बनना चाहता है और वास्तव में वो बहुत अच्छा प्लेयर है मगर पैसों की तंगी की वजह से उसको अपने पिता से ज़रा सा भी सपोर्ट नहीं नहीं यहाँ तक की उसके पिता उसका क्रिकेट करियर समाप्त कर देना चाहते हैं। घर से कुछ पैसे चुरा कर अविनाश मुंबई अपने मां दामोदर पाण्डेय के घर आ जाता है। कुछ ही दिनों में अविनाश के मामा और उसका ममेरा भाई दोनों को ये यकीन हो जाता है की अविनाश का ये हुनर उसको बहुत आगे ले जा सकता है। समीर खान नाम का एक क्रिकेट कोच अविनाश को सपोर्ट करता है क्युकी वो अविनाश के हुनर को सही तरह से परख सकता है। समीर अविनाश को फ्री में क्रिकेट की ट्रेनिंग देना शुरू करता है। अविनाश इंटर स्कूल कप के लिए खेलना चाहता है जो की सिर्फ स्कूल स्टूडेंट्स के लिए है। अविनाश अपने ओपनिंग कोच जुनैद की सहायता से उसके स्कूल के कोच से मिलकर स्कूल में दाखिल पा जाता है मगर पैसे की तंगी एक बार फिर आती है। स्कूल और क्रिकेट कोचिंग की फीस है करीब तेरह हज़ार रूपए जो की न ही अविनाश के मामा के पास हैं और न ही उसके पिता के पास। ऐसे में अविनाश का क्रिकेट करियर खत्म भी हो सकता है।
इसी बीच अविनाश का एक दोस्त भी बनता है जिसका नाम जगत कावड़े है। वो पुलिस थाने की तरफ से गुमशुदा लोगों के पोस्टर लगाने का काम करता है। वो अविनाश को एक सुझाव देता है। वो अविनाश को बोलता है की उन्दोनो के पैसो की तंगी खत्म हो सकती है मगर ये रास्ता कुछ टेढ़ा है। अविनाश की अच्छी परफॉरमेंस के चलते उसकी क्रिकेट कोचिंग की फीस तीन हज़ार से सिर्फ साढ़े सात सौ रूपए हो जाती है मगर उसको स्कूल की फीस अभी भी दस हज़ार भरनी है।
YouTube:
Part 1: www.youtube.com/watch?v=6sWIVhaxG1w
Part 2: www.youtube.com/watch?v=AL0kiqCwO_U
SonyLiv:
Part 1: www.sonyliv.com/watch/crime-patrol-satark-22nd-may-2015-balla-aur-bazi
Part 2:
Here is the inside story of the case:
www.crimestories.co.in/2015/05/crime-patrol-cricket-crazy-teen-from.html
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