Arjun and Shankar are real brothers and Shankar is elder among them. Their sister Sujata is married and live at another place. Shankar has fine-tuning with his maternal uncles and his maximum time spends at their home. On the day of Diwali he decides to attend Diwali pooja at his uncle's home which his father does not like. But he leaves his home's pooja and attends at his uncle's home.
Sankar finds an unknown girl there and falls in love with her. Her name is Sakshi. Their affair starts and they decide to get married. Both the families are ok with this relation but after Sakshi's father comes to know that Shankar is less educated and does not do anything, he denies their relation and decides not to marry Sakshi with Shankar.
Shankar's uncles help them getting marry and they get married after running away from their homes. They start their married life in Lucknow and his uncle helps him getting a small job also. Both the families decide not to have any relation with the couple.
Time flows and 2 years pass. Shankar's brother Arjun decides to carry on his studies from his sister Sujata's home. A day his uncle's son Ajeet comes to meet them and asks Arjun to come with him. He wants Arjun will meet his Uncle and Aunty. Arjun comes with him for two days but when Sujata calls them after 2 days, Ajeet does not pick the phone. After she calls him so many times, Ajeet talks to her and asks her to give him 15 lac rupee ransom.
अर्जुन शंकर का छोटा भाई है। दोनों भाइयों में बहुत बनती है। इनके अलावा इनकी एक बहन भी है जिसकी शादी हो चुकी है। शंकर का उसके मामाओं के घर बहुत आना जाना है, यहाँ तक की वो दिवाली की रात भी अपने पिता से लड़ झगड़ कर अपने मामा के यहाँ पूजा में चला जाता है।
पूजा से समय मामा के घर में शंकर को एक लड़की दिखाई देती है जिसका नाम है साक्षी। शंकर का दिल साक्षी पर आ जाता है। दोनों का मामला धीरे धीरे आगे बढ़ता है और बात शादी तक पहुचती है। दोनों परिवारों को इस शादी से कोई दिक्कत नहीं है मगर जब साक्षी के घरवालों को ये पता चलता है की शंकर कोई काम धाम नहीं करता है और कम पढ़ा लिखा है तो वो शादी से मना कर देते हैं। उनको शादी के लिए मनाने की बहुत कोशिश की जाती है मगर वो इस शादी को राज़ी नहीं है।
शंकर और साक्षी शंकर के मामाओं की मदद से भाग कर शादी कर लेते हैं और बिहार से बाहर लखनऊ में जाकर रहने लगते हैं जहाँ उसके मामा उसकी नौकरी लगवा देते हैं। दोनों के घर वाले उन्दोनो से सारे सम्बन्ध ख़तम कर लेते हैं और शंकर के मामाओं से भी सम्बन्ध खत्म कर लेते हैं।
धीरे धीरे दो साल बीत जाते हैं। अर्जुन अपनी बहन सुजाता के घर रहते हुए पढ़ाई जारी रखने का फैसला करता है और एक दिन उसके मामा का लड़का अजीत उससे मिलने आता है। वो अर्जुन को अपने साथ दो दिन के लिए चलने के को बोलता है जिससे की वो अपने मामा-मामी से सालों बाद मिल सके। सुजाता अर्जुन को उसके साथ जाने देती है। दो दिन बीत जाते हैं और अर्जुन वापस नहीं आता है। तीसरे दिन सुजाता कई बार अजीत का फ़ोन मिलाती है मगर नहीं उठता है। वो घबराई हुई है। आखिरकार अजीत फ़ोन उठाता है और सुजाता से पंद्रह लाख रूपए की फिरौती मांगता है अर्जुन के बदले।
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