नदेव बशीर एक महत्वाकांक्षी युवक है। वो काम समय में ज़्यादा रुपये कमाना चाहता है।
वो एक सिक्योरिटी एजेंसी में काम करता है जिनका काम बैंक के रुपये को एक जगह से
दूसरी जगह वैन में पहुचना है। नवेद कुछ प्लान बनता है। एक दिन वैन बैंक से निकलती
है जिसमे चार लोग हैं। वो लोग चाय पीने के लिए रुकते हैं। चाय में कुछ मिला होने की
वजह से तीन लोग बेहोश हो जाते हैं। थोड़ी देर बाद उनमे से एक ड्राइवर को होश आता
है. वो देखता है की नवेद वैन में नहीं है और बाकी दोनों लोग बेहोश पड़े हैं। वो उन
दोनो को जगाने की कोशिश करता है मगर कोई नहीं उठता। वैन में रखे चार में से तीन
बक्से खाली है और तीसरे में ताला पड़ा है। किसी तरह आधी बेहोशी में वो वैन को
ड्राइव कर के उन दोनो को अस्पताल पहुचता है। सिक्योरिटी कंपनी के मैनेजर को फ़ोन
किया जाता है। वो बैंक मैनेजर के साथ अस्पताल पहुचता है। बैंक मैनेजर बताता है की
वैन में तीन करोड़ रुपये थे जिनमे से एक बक्सा बचा है जिसमे 75 लाख होने चाहिए।
YouTube:
Part 1:
http://www.youtube.com/watch?v=jE9ldm56myA
Here is the inside story of the case:
www.crimestories.co.in/2015/11/crime-patrol-security-agency-staffer-3.html
Hi, there is no episode part 2, episode 594 cannot be found anywhere.
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