Pratha
प्रथा
Sarita commits su!c!de with her infant daughter. She jumps from last floor of
a multistory building in Mumbai. People of that colony tells police that she
was working as a full time maid at a home here and when police talks to her
her owners, they does not find any thing suspicious or against them. When they
investigates more, they comes to know about her village and when they asks her
family about Sartia and her husband Chandar, her family tell police that they
does not have any kind of relation with Sarita from a long time.
प्रथा
पृष्ठभूमि:
ये कहानी महाराष्ट्र एक जिले चंदरपुर और भोपाल के जिले अशोक नगर और गुना में चलने वाले एक चलन पर आधारित है। इन जिलों में आदमी और औरतों का अनुपात बहुत कम है जिसकी वजह से ब्राइड ट्रैफिकिंग को बढ़ावा मिला है। शादी करने के लिए आदमी को दुल्हन खरीदनी पड़ती है। ये दुल्हन शादीशुदा भी हो सकती है और कुंवारी भी। ज़्यादातर इन लड़कियों का मोलभाव इनके खुद के माँ-बाप या भाई करते है। दुल्हन की बोली लगाई जाती है। जिसकी बोली सबसे ऊंची होती है उसको बोली लगाने वाले को एक कॉन्ट्रैक्ट पे साइन करा कर दे दिया जाता है। कॉन्ट्रैक्ट एक साल का रहता है और एक साल बाद लड़की बेचने वाला लड़की खरीदने वाले से लड़की वापस ले आता है। खरीदने वाले के पास अगर पूरे रुपये न भी हों तो एक लड़की के बदले कुछ रुपये और एक भैंस देकर लड़की ले सकता है। लड़की एक साल तक खरीदने वाले के साथ रहती है और इस बीच लड़की खरीदने वाला लड़की पर गुलामों की तरह अत्याचार करता है।
ये लड़कियां ज़्यादातर महाराष्ट्र के चंदरपुर जिले से लाइ गई है और उनको वहां से एमपी लेकर उनको बेचा जाता है। चंदरपुर के रामनगर पुलिस स्टेशन के एस.एच.ओ ने तीन लड़कियों को इस गैंग से छुड़वाया था। उन्होंने बताया की एक लड़की की कीमत 30,000 से 50,000 रुपये तक होती है। एक लड़की 75,000 रुपये थी मगर खरीदने वाले के पास 50,000 रुपये ही थे तो उसने 50,000 रुपये के अलावा एक भैंस भी दी थी। ये लड़कियां बेचे जाने के बाद किसी से कम्प्लेन नहीं करती है क्यों की खरीदने वाला इनको पत्नी की तरह से रखता है। कभी कभी ऐसा भी होता है की खरीदने वाला गुस्से में लड़की को वापस दे देता है या फिर बेचने वाला खरीदार से खुश नहीं होता है और लड़की को वापस ले जाता है। दोनों ही स्थिति में बेचने वाला लड़की को दोबारा बेच कर दोगुना पैसा कम लेता है। खरीद-फरोख्त में लिप्त ये लोग ज़्यादातर पारधी समाज से आते हैं। पारधी एक तरह की जनजाति है जिनका राजा-महाराजों के समय में अच्छा मूल्य हुआ करता था। इनका काम आखेट होता था जो की बिना की शस्त्र का प्रयोग किये जानवरों का शिकार करते था। शिकारियों और पारधियों में एक असमानता ये है की पारधी जाल बिछा कर शिकार करते थे जबकि शिकारी शास्त्रों का प्रयोग कर के। पारधी पारध शब्द से बना है। पारध का मतलब होता है शिकार करने वाला। पारधी कई तरह के होते हैं, जैसे राज पारधी, बाघरी पारधी, गाये, हिरन पारधी। एक अद्भुद सत्य ये भी सुनने में आया है की पारधी पंक्षियों की भाषा जानते थे जो शिकार में उनकी सहायता करते थे।
लड़कियों की खरीद-फरोख्त का ये व्यापार महाराष्ट्र में सूखे के दौरान चरम पर होता है।
SonyLiv:
http://www.sonyliv.com/watch/crime-patrol-satark-4th-november-2015-pratha
YouTube:
http://www.youtube.com/watch?v=ZinBHy39tEg
Here is the inside story of the case:
www.crimestories.co.in/2015/11/crime-patrol-brides-on-sale-for-cash.html
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