Showing posts with label dus rupiye. Show all posts
Showing posts with label dus rupiye. Show all posts

10 out of 100: 14 year old mausmi sets herself on fire as her parents couldn't afford pencils and copy (Episode 415 on Sep 13th 2014)


सौ में से दस
10 out of 100
"सर्व शिक्षा अभियान. प्रारंभिक शिक्षा के लिए सरकार द्वारा व्यापक पैमाने पर चलाया जाने वाला प्रमुख कार्यक्रम है. इस 2000-2001 में स्टेट गवर्नमेंट एंड लोकल सेल्फ गवर्नमेंट से साथ में मिल कर शुरू किया. 2010 में राईट टू एजुकेशन एक्ट के लागू होने के बाद से ही सर्व शिक्षा अभियान को पूरी कानूनी देख-रेख मिली ताकि सर्व शिक्षा अभियान को बुनियादी तौर पर कार्यान्वित किया जा सके."

"बुनियादी तौर पर ज़्यादातर जगहों पर ये चीज़े बिलकुल अलग हैं क्युकी ये सारी योजनायें और प्रोग्राम आखिर में लोगों द्वारा ही चलाये जाते हैं, ऐसे लोग जो ख़ास तौर पर इन योजनाओं के लिए ही नियुक्त किये गए हैं. जिनपर इन कार्यक्रमों को चलने की ज़िम्मेदारी होती है. ये उनका दायित्व है की ये सारी योजनाए उन लोगों तक पहुचे जिनको इनकी ज़रुरत है. लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी जो सेवाएँ इन लोगों तक पहुचती हैं उसका आंकड़ा है सौ में से सिर्फ दस (10 out of 100)."


गाँव सोरभूमि, ओडिशा
मौसमी एक 10 साल की बच्ची है जिसके दो छोटे भाई है. मौसमी सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक स्कूल में पढाई करती है जिसमे उसे फीस नहीं देनी होती है और समय समय पर छात्रवृत्ती या वजीफा भी मिलता है. उसके पिता कारपेंटर के तौर पर एक दिहाड़ी मजदूर हैं.​​​ उनकी रोज़ की कमाई पर ही घर का खर्चा निर्भर करता है.​ मौसमी की माँ सारे घर की देखभाल करती है.

एक ​दिन अचानक एक दुर्घटना में मौसमी के पिता के शरीर का दांयाँ हिस्से को लकवा मार जाता है. उनका इलाज एक सरकारी अस्पताल में निःशुल्क होता है मगर अस्पताल से छुट्टी होने के बाद महंगी दवाइयों का खर्चा उठाने के लिए मौसमी की माँ घरों में काम करना शुरू करती है जिससे उसको महीने के तौर पर कुछ रुपये मिल जाते हैं.

उनका परिवार एक बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा है, यहाँ तक की मौसमी के पास नै कॉपी और पेंसिल भी नहीं है जिसकी उसे बहुत ज़रुरत है और वो पिछले साल की कॉपी पेंसिल से ही काम चला रही है. वो अपने स्कूल के एडमिन से अपने वजीफे के बारे में बार बार पूछती है मगर वो हर बार यही जवाब देते हैं की उसका एक आदमी वजीफे का पता लगाने जाता है मगर कुछ पता नहीं चल रहा है​. मौसमी अपने घर की हालत देख कर बहुत परेशान है. एक तरफ उसके पिता की दावा का खर्चा और दूसरी तरफ उसकी माँ दिन रात काम कर रही है.

एक ​दोपहर मौसमी रोज़ की तरह अपने भाइयों को पढ़ाने के लिए ​बुलाती है मगर फिर उन्दोनो को बोल देती है की वापस जाओ और खेलो. उसके जाने के बाद मौसमी घर के दरवाज़े बंद करती है और खुद को आग लगा लेती है.