झूठी शान
False Pride
हरियाणा देश के उन राज्यों में से है जहाँ के कुछ गाँव में आज भी लड़कियों को
दबा-कुचल के रखा जाता है. यहाँ आज भी एक लड़की की शादी किससे हो रही है और कब हो
रही है, इसमें लड़की की मंज़ूरी लेना उचित नहीं समझा जाता. परिवारों को आपस में तय
करना होता है और उसके बाद पंचायत की राय ले ली जाती है. अगर पंचायत प्रस्ताव पर
रजामंद होती है तो शादी को अंजाम दिया जाता है.
False Pride
ये कहाँ है इन्हीं कुप्रथाओं में से गुजरी एक लड़की स्मृति (एहसास चन्ना) की. 17 साल की स्मृति अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी है. स्मृति के चाचा शादी लायक है सो उसके चाचा की शादी देसिका नाम की एक लड़की से तय होती है जो की 55 साल के हुकुम नाम के एक किसान की बहन है. देविका की मुह दिखाई के दौरान हुकुम-देविका के पिता की नज़र स्मृति पर पड़ती है. वो स्मृति के पिता के सामने ये प्रस्ताव रखते हैं की उनके घर के लड़की देविका इस घर में आ जाये और इस घर की स्मृति उनके घर में आ जाए. मतलब की स्मृति की शादी उससे ३७ साल बड़े हुकुम से करवा दी जाए जिससे की उनके परिवार को एक वारिस मिल सके.
लड़कियों के इस लेनदेन की प्रथा को इन गाँव में अटा-सटा की प्रथा कहते हैं. स्मृति को शादी के दिन तक ये नहीं बताया जाता है की उसकी शादी किससे हो रही है. और शादी वाले दिन जब वो पहली बार अपने होने वाले पति को देखती है तो भोचक्की रह जाती है.
इसके आगे जो भी कुछ होता है वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.