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The Motive: Keshav takes revenge from Manohar Lumi after 22 years (Episode 251 and 252 on 28st, 29nd March 2014)


The Motive
मकसद
Story start from a burglary. Keshav Sonda, a 29-30 year old man who snatches a bag full of money from a man outside the bank and runs away. Security guards chases him and put them behind bars.

Crime Patrol | Benchmark: Mumbai acid attack victim Preeti Rathi dies after 1 month battle for life (Episode 347, 348 on 14, 15 March 2014)

हर माँ बाप का ये सपना होता है कि उनका बच्चा सफलता कि उचाइयां छुए और माँ-बाप कि खुशियोें दोगुनी तब हो जाती हैं जब उनकी बेटियां अपने जीवन में सफल होती हैं। 23 साल कि प्रीती राठी भी एक ऐसी होनहार स्टूडेंट थी जो कि अपने बलबूते पर नेवी में नर्सिंग कि नौकरी ज्वाइन करने जा रही थी। उसके लिए ये 4 साल कि तपस्या का फल था। पानीपत में पैदा हुई प्रीती पिता अमर सिंह राठी के खानदान कि पहली संतान थी जिसने सफलता कि इन बुलंदियों को छुआ था। दिल्ली से मुम्बई आने के बाद 2 मई 2013 कि सुबह मुम्बई में उसकी पहली सुबह थी जिसके बाद उसे लेफ्टिनेंट नर्स कि पोस्ट पर कोलवा के INHS अश्विनी हॉस्पिटल में ज्वाइन करना था।

ट्रैन से उतरने के 10 मिनट के अंदर ही एक नक़ाबपोश हमलावर ने उस पर एसिड के हमला किया जिससे उसका गला और फेफड़ा बुरी तरह से झुलस गया। प्रीती को तुरंत बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जिसके 1 महीने के बाद 2 जून को आखिरकार प्रीती ज़िंदगी कि जंग हार गई।

प्रीती के एसिड अटैक के बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया मगर उनमे से कोई भी गुनहगार साबित नहीं हो पाया। पुलिस तफ्तीश कई महीनो तक चली और इस बीच सरकार ने प्रीती के घरवालों के लिए मुआवज़ा भी घोषित किया। पुलिस तफ्तीश के दौरान ये शक भी सामने आया कि हमले का निशाना कोई और रहा होगा और शिकार प्रीती होगई।

अगस्त 2013 में प्रीती के पिता अमर सिंह ने कोर्ट में ये याचिका दायर करी कि शहर पुलिस द्वारा केस में कोई आरोपी अभी तक नहीं पकड़ा गया है सो सरकार ये केस सीबीआई को सौपे।

प्रीती के एसिड अटैक के करीब 9 महीने बाद सीबीआई ने आख़िरकार मुख्य आरोपी को ढूंढ निकला।

Acid attack victim Late Preeti Rathi

False Pride: Minor Smriti married to 37 year elder and then killed by father for pride (Episode 344 on 1st March 2014)


झूठी शान
False Pride
हरियाणा देश के उन राज्यों में से है जहाँ के कुछ गाँव में आज भी लड़कियों को दबा-कुचल के रखा जाता है. यहाँ आज भी एक लड़की की शादी किससे हो रही है और कब हो रही है, इसमें लड़की की मंज़ूरी लेना उचित नहीं समझा जाता. परिवारों को आपस में तय करना होता है और उसके बाद पंचायत की राय ले ली जाती है. अगर पंचायत प्रस्ताव पर रजामंद होती है तो शादी को अंजाम दिया जाता है.
ये कहाँ है इन्हीं कुप्रथाओं में से गुजरी एक लड़की स्मृति (एहसास चन्ना) की. 17 साल की स्मृति अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी है. स्मृति के चाचा शादी लायक है सो उसके चाचा की शादी देसिका नाम की एक लड़की से तय होती है जो की 55 साल के हुकुम नाम के एक किसान की बहन है. देविका की मुह दिखाई के दौरान हुकुम-देविका के पिता की नज़र स्मृति पर पड़ती है. वो स्मृति के पिता के सामने ये प्रस्ताव रखते हैं की उनके घर के लड़की देविका इस घर में आ जाये और इस घर की स्मृति उनके घर में आ जाए. मतलब की स्मृति की शादी उससे ३७ साल बड़े हुकुम से करवा दी जाए जिससे की उनके परिवार को एक वारिस मिल सके.

लड़कियों के इस लेनदेन की प्रथा को इन गाँव में अटा-सटा की प्रथा कहते हैं. स्मृति को शादी के दिन तक ये नहीं बताया जाता है की उसकी शादी किससे हो रही है. और शादी वाले दिन जब वो पहली बार अपने होने वाले पति को देखती है तो भोचक्की रह जाती है.

इसके आगे जो भी कुछ होता है वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.